
हम भारत माता की जय कहते है, INDIA माता की जय नहीं- मनोज शर्मा
बिहार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक श्री मनोज शर्मा ने बयान जारी करते हुए कहा कि मैं
हम भारत माता की जय कहते है, INDIA माता की जय नहीं- मनोज शर्मा
मिलाजुला कर अपने संगठन के नाम का फुलफार्म INDIA बता देने या नाम रख लेने से वो कोई भारतवर्ष नहीं हो जाता या फिर वह हिंदुस्तान नहीं होता, आर्यावर्त नहीं होता। हम भारत के लोग भारतवर्ष की संस्कृति-सभ्यता के साथ जीने मरने वाले लोग हैं। जो लोग इसके नाम के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं या फिर इस नाम को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं उसे देश की जनता भली-भांति समझ रही है। जो जालसाज लोग होते हैं वह पहले नाम से ही धोखा देते हैं। जिनको भारत से कोई लेना-देना नहीं है, यहां के लोगों से लेना देना नहीं है, वैसे लोग अपना समूह बनाकर अपना नाम कुछ भी रख लें लेकिन, चेहरे नहीं बदलते, उनका किया हुआ कृत्य नहीं बदलता।
वैसे भी हम लोग 'भारत माता की जय' ही कहते हैं। इंडिया माता की जय नहीं कहते है। इसीलिए भाजपा के संस्थापक सदस्यों ने बहुत ही सूझबूझ के साथ पार्टी का नाम भारतीय जनता पार्टी रखा है। क्योंकि भारत के लोगों को यह नाम कनेक्ट करता है। अंग्रेजों का नाम दिया हुआ कांग्रेस और बाद में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी से पहचान बनाने वाली पार्टियां चाह कर भी भारत के लोगों की नहीं हो सकती हैं। भाजपा अंतिम पायदान पर रहने वाले लोगों की पार्टी है। कांग्रेस अंग्रेजी परस्ती से निकली हुई पार्टी है। और 2024 में यह तय हो जाएगा कि लोग इंडिया के साथ हैं या भारत के साथ।
गाना तो सुना ही होगा आपने नाम गुम जाएगा चेहरा ये बदल जाएगा मेरीआवाज़ ही पहचान हैंगर याद रहें।
नाम में कुछ नहीं रखा हैं। निर्भर करता हैं की उस नाम के पीछे आपकी क्या पहचान जुड़ी हैं? आपने क्या मुकाम हासिल किया हैं? और इस विपक्षी एकता में शामिल नेताओं की पहचान भ्रष्टाचारी के रूप में होती है और उन्होंने भ्रष्टाचार करने में एक अलग मुकाम हासिल किया है और यही इनकी पहचान है।
मुकेश अंबानी, अमिताभ बच्चन , डॉ अब्दुल कलाम, सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर नाम तो याद होंगे ही ना आपको। परन्तु कल को इन सब के नाम बदल कर कुछ और रख दिए जाते हैं। तब क्या होगा? हम सब इनको भूल जाएंगे? नहीं ना। कुछ वक्त तक मुश्किल होगी, नया नाम याद करने में और अभ्यास में लाने में परन्तु वक्त के साथ नया नाम इनकी शख्सियत, काम के साथ कनेक्ट होकर उनकी नई पहचान बन जाएगा।
रोज़ नाम रखें और बदले जाते हैं, परंतु पहचान वहीं रहती हैं जो बनी होती हैं। पहचान नाम से नहीं, किसी के काम, उस चीज़ से जुड़ी याद, इतिहास से होती हैं। नाम धोखा दे सकता हैं, शक्ले धोखा दे सकती हैं, परन्तु व्यक्तित्व, काम नहीं।
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