Army Day: आज 75वां आर्मी दिवस, इतिहास में पहली बार दिल्ली से बाहर होगी आर्मी डे परेड
भारतीय सेना के लिए आज का दिन (15 जनवरी) बेहद अहम दिन है। भारतीय सेना 15 जनवरी यानी आज अपना 75वां आर्मी दिवस मना रही है। इस दिन सेना में शामिल देश के वीर सपूतों का सम्मान किया जाता है। भारत में इस दिन जश्न मनाने की खास वजह है। ये दिन भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक की याद दिलाता है।
भारतीय सेना के अनुसार इस बार का सेना दिवस परेड बेंगलुरु में आयोजित की जाएगी। यह पहली बार होगा जब सेना दिवस परेड को राजधानी दिल्ली के बाहर किया जाएगा। भारतीय सेना (Indian Army) का 75वां स्थापना दिवस पहली बार राजधानी दिल्ली से बाहर बेंगलुरू में मनाया जा रहा है।
15 जनवरी, 1949 को करीब 200 साल के ब्रिटिश शासन के बाद पहली बार किसी भारतीय को भारतीय सेना की बागडोर सौंपी गई थी। इस दिन भारतीय सैनिकों की उपलब्धियों, देश सेवा, अप्रतिम योगदान और त्याग को सम्मानित किया जाता है। फ्रांसिस बुचर भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ थे। वहीं, सेना की कमान लेने के बाद फील्ड मार्शल केएम करियप्पा भारतीय आर्मी के पहले कमांडर इन चीफ बने थे।
देश के पहले कमांडर-इन-चीफ, फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा (करियप्पा) को श्रद्धांजलि देने के लिए, इस साल थलसेना दिवस कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आयोजित किया जा रहा है। इस साल पहली बार सेना दिवस परेड को राष्ट्रीय राजधानी के बाहर आयोजित किया जाएगा। भारतीय सेना दिवस काफी अहम है क्योंकि यह सेना के उन सैनिकों का सम्मान करता है जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। यह लोगों और राष्ट्र की रक्षा में भारतीय सेना की बहादुरी और बलिदान का सम्मान करता है।
भारतीय आर्मी का गठन 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता में किया था। इस सेना पर देश की आजादी से पहले ब्रिटिश कमांडर का कब्जा था। साल 1947 में जब देश आजाद हुआ, तब भी भारतीय सेना का अध्यक्ष ब्रिटिश मूल का ही होता था। करीब 2 साल बाद 15 जनवरी 1949 में आजाद भारत के आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर ने भारतीय सेना की कमान भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा को सौंपी। यह भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसलिए 15 जनवरी को हर साल भारतीय सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
फील्ड मार्शल करियप्पा भारत के पहले कमांडर इन चीफ के साथ-साथ पैतृक रूप से कर्नाटक के ही रहने वाले थे। बाद में जनरल करियप्पा को फील्ड मार्शल की रैंक से नवाजा गया था, जो भारतीय सेना की सबसे बड़ी रैंक है। जनरल करियप्पा के अलावा जनरल सैम मानेकशॉ को ही इस रैंक से अब तक नवाजा गया है।
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