करेंगे प्रेम बार-बार पुस्तक का हुआ लोकार्पण

करेंगे प्रेम बार-बार पुस्तक का हुआ लोकार्पण


 #पुस्तक_लोकार्पण_एवं_परिचर्चा

क्रांतिकारी लेखक #निवेदिता का नया काव्य संग्रह 

             #करेंगे_प्रेम_बार-बार

दिल्ली :प्रेम उनकी कविताओं के केंद्र में है, लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि निवेदिता की प्रेम कविताएं एक एक्टिविस्ट की कविताएं हैं। इसीलिए उनमें जीवन और विचार के संघर्ष के साथ-साथ समाज की विसंगतियाँ और समय की विडंबनाएँ भी अंतर्निहित हैं। 

 निवेदिता की कविताओं का संग्रह "करेंगे प्रेम बार -बार" का लोकार्पण करते हुए वक्ताओं ने ये बातें कहीं। किताब का लोकार्पण प्रख्यात साहित्यकार नासिरा शर्मा, सुमन केशरी , मदन कश्यप और गीताश्री ने किया।

बड़े कवि मदन कश्यप ने कहा कि निवेदिता के इस तीसरे संग्रह की कविताओं में भी प्रेम के विभिन्न रूपों के विस्तार को देखा जा सकता है। केवल 'निहारना' जैसी कविता में ही नहीं, दुख को केंद्र में रखकर लिखी कविताओं में भी अंतःसलिला के रूप में उसकी उपस्थिति को महसूस किया जा सकता है।  

जानी - मानी साहित्यकार नसीरा शर्मा ने कहा कि निवेदिता अपने आसपास को जिस सजग और संवेदनशीलता के साथ कविता में दर्ज करती है वो अनोखा है। उसकी कविता का वितान बड़ा है वो सहज भाव से कहती है - मैं साथ जाना चाहती हूं दुख के 

इस उम्मीद में कि सुबह जब हम मिले

तो हमारे बीच दुख की कोई छाया ना हो

भविष्य की धरती को उन तमाम दुखी रातों से बचाना चाहती हूं

साहित्यकार सुमन केशरी ने कहा कि निवेदिता की कविताएं जीवन से जुड़ी हैं। उनकी कविताओं में आपको आम आदमी के दुख दर्द शामिल हैं। वो प्रेम की कवि हैं। अपनी विलक्षण शैली के सहारे उन्होंने कविता को नया विस्तार दिया है। 

कथाकार, पत्रकार गीतश्री ने कहा निवेदिता की कविताओं में प्रेम के स्वर सबसे ज्यादा मुखर हैं। उनकी काव्यानुभूति की बुनावट में उनके स्वभाव की केंद्रीय भूमिका है। उनकी कविताओं में प्रेम , करुणा और संघर्ष की एक लर्जिश है। 

इस मौके पर निवेदिता ने अपनी कविताओं का पाठ किया। और संचालन किया बीबीसी इंडिया की हेड रूपा झा नें। उन्होंने कहा निवेदिता प्रेम और संघर्ष की कवि हैं। यही विशेषता है, जो उन्हें औरों से अलग करती है और सहज अभिव्यक्ति को दुर्लभ कलात्मकता प्रदान करती है।

 अंत में प्रलेक प्रकाशन की तरफ से जितेंद्र पात्रों ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कविता लिखना और छापना दोनों जोखिम भरा काम है फिर भी कविताएं लिखी जा रही हैं । कविता ही है जो मनुष्य को बचाती है।


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